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Sanskrit Letters | वर्णविचार

वर्ण के बारे में जानने से पहले आपने भाषा और लिपि के अन्तर को समझ लिया होगा। इससे पहले के पोस्ट में हमने इस पर विस्तार से चर्चा की थी।

यह साफ़ है कि अपने मन के भावों/विचारों को दूसरों तक पहुँचाने के लिये हम किसी न किसी भाषा का सहारा लेते हैं। इसकी ‘सबसे छोटी’ ईकाई को वर्ण कहा जाता है। ‘सबसे छोटी’ कहने का अर्थ हुआ कि जिसे और छोटा न बनाया जा सके या जिसके और टुकड़े ना किये जा सकें। उदाहरण के लिये, यदि आपसे कहा जाए कि ‘BOX’ इस शब्द को तोड़कर लिखो तो इसे ‘B’, ‘O’, ‘X’ इस प्रकार अलग-अलग करके तोड़ा जा सकता है। लेकिन अगर आगे ‘B’ को भी तोड़कर और छोटा करके लिखने को कहा जाए, तो क्या यह सम्भव है? नहीं। यहाँ यह कहा जा सकता है कि ‘B’ एक वर्ण है।

और यदि पूछा जाए कि इस (BOX) शब्द में कुल कितने वर्ण हैं? तो ज़वाब होगा – तीन। थोड़ा और आगे बढ़कर यदि पूछा जाए कि इन तीनों में व्यंजन (consonant) कितने और स्वर (vowel) कितने हैं? तो ज़वाब होगा दो व्यंजन (B,X) हैं और एक स्वर (O) है।

अब इन्हीं प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में खोजते हैं। उदाहरण के लिये संस्कृत का एक शब्द लेते हैं- ‘ कमलम् ’। यदि पूछा जाए कि इस शब्द में कुल कितने वर्ण हैं ? तो हो सकता है कि आपमें से अधिकतर का ज़वाब होगा – चार, पाँच, छह या सात। पर सही ज़वाब होगा – सात। कैसे ? आइये, समझते हैं।

स्वर और व्यञ्जन

सबसे पहले यह जानना बहुत ज़रूरी है कि एक शब्द कुछ वर्णों से मिलकर बनता है यानी स्वर और व्यंजन से मिलकर, जैसा कि हमने ऊपर अंग्रेजी के एक शब्द के उदाहरण में भी देखा। शायद ही किसी भाषा में कोई शब्द ऐसा हो जिसमें कोई भी स्वर न हो। (यदि आपकी जानकारी में ऐसा कोई शब्द है तो कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें) व्यंजन (consonant) को बोल पाने के लिए स्वर (vowel) की ज़रूरत होती है। स्वर की सहायता से ही व्यंजन को बोला जा सकता है, इसीलिए आप देखेंगे कि किसी भी शब्द में व्यंजन के बाद स्वर ज़रूर होगा। कभी एक व्यंजन के बाद, कभी दो या कभी-कभी तीन व्यंजनों के बाद (शायद ही किसी भाषा में ऐसा कोई शब्द हो जहाँ लगातार 4 व्यंजनों तक कोई स्वर न आये। यदि आप अंग्रेजी के ‘Psychology’ शब्द के बारे में सोच रहे हैं जहाँ पहले 5 वर्णों के बाद ‘O’ आ रहा है तो ध्यान रहे कि अंग्रेजी में ‘Y’ एक semi-vowel है जो यहाँ स्वर का काम कर रहा है)

स्वर की खोज

चलिए अब वापस आते हैं संस्कृत के शब्द पर जो है – ‘कमलम्’। क्या यहाँ कोई स्वर वर्ण दिखाई दे रहा है ? नहीं ना ? लेकिन यह तो सम्भव नहीं है कि बिना किसी स्वर के कोई शब्द बन जाए। इसका अर्थ हुआ कि स्वर है। पर कहाँ ? एक नज़र में देखने पर हमें दिखाई दे रहे हैं – क, म, ल, म् । स्वर इन्हीं स्वरों में छिपे हुए हैं। जी हाँ, देवनागरी लिपि में व्यंजन के बाद आने वाले स्वरों को व्यंजन में ही छिपाकर लिखा जाता है, अर्थात् मात्रा लगाकर। यही कारण है कि रोमन लिपि (अंग्रेजी भाषा की लिपि) में तो किसी शब्द में लिखे स्वर और व्यंजन वर्ण अलग-अलग आसानी से दिख जाते हैं पर देवनागरी लिपि में नहीं। यहाँ स्वर व्यंजनों में छिपे हुए हैं। चलिए उन्हें खोजकर निकालें।

हलन्त

इस शब्द को एक बार फिर से ध्यान से देखें – क म् । ध्यान से देखने पर पता चल रहा है कि इस शब्द में ‘’ व्यंजन दो बार आया है पर दोनों बार लिखने का तरीका अलग है। इसी में ज़वाब छिपा है। शब्द के अन्त में जो म् है उसके नीचे एक चिह्न है, वह है – हलन्त का चिह्न। हलन्त वर्ण का मतलब है वह व्यंजनवर्ण जिसमें कोई स्वर न हो। यानी किसी व्यंजन को स्वररहित बनाने के लिए उसके नीचे हलन्त का चिह्न लगाया जाता है। इससे दो बातें साफ़ हो गयीं- पहली ये कि अन्तिम व्यंजन म् में कोई स्वर नहीं है, और दूसरी ये कि बाकी बचे तीनों व्यंजनों में स्वर है

क म ल इन तीनों व्यंजनों में ‘’ स्वर छिपा हुआ है। यदि आप तीनों व्यंजनों को अलग-अलग बोलकर देखेंगे; क…… म…… ल……., तो महसूस कर पाएँगे कि इन तीनों के बाद की आवाज़ आ रही है। और अन्तिम म् में किसी स्वर की आवाज़ नहीं है। उम्मीद है अब आपको इस शब्द में छिपे सारे वर्ण साफ़ दिख रहे होंगे और वे हैं- क् अ म् अ ल् अ म्। चार व्यञ्जन और तीन स्वर, कुल मिलाकर सात वर्ण हैं इस एक शब्द में।

शायद अब तक आपको एक वर्ण की महत्ता का पता चल गया होगा। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि ‘भाषा’ की इमारत को बनाने के लिए ‘वर्ण’ एक छोटी ईंट की तरह है जिसके बिना भाषा की कल्पना नहीं की जा सकती।

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