Quiz on Sentence Formation in Sanskrit
संस्कृत में सरल वाक्य-रचना का अभ्यास
संस्कृत विषय से सम्बन्धित प्रायः सभी परीक्षाओं में वाक्य-रचना का प्रश्न अवश्य होता है। इस प्रश्न में संस्कृत भाषा में कुछ वाक्य बनाने की दक्षता का आंकलन किया जाता है। यदि आप भी संस्कृत का अध्ययन करते हैं तो आप भी यह चाहते होंगे कि संस्कृत में छोटे-छोटे आसान से वाक्य बनाने में आप दक्ष हो जाएँ। आज इस लेख में हम इसी विषय में जानेंगे।
एक वाक्य बनाने के लिये कुछ शब्द, (जिन्हें हम संस्कृत में ‘पद’ कहेंगे) चाहिये होते हैं। क्या आप जानते हैं कि कम से कम कितने पदों का उपयोग करके एक सार्थक वाक्य बनाया जा सकता है? संस्कृत में केवल एक क्रियापद का प्रयोग करके एक पूरा सार्थक वाक्य बनाया जा सकता है। जी हाँ, यदि संस्कृत में आप केवल एक पद ‘गच्छामि’ लिखें, तो इसका अर्थ है- मैं जा रहा हूँ। जो कि अपने आप में एक पूरा वाक्य है। इस प्रकार हमने ये जाना कि केवल एक क्रियापद का उपयोग करके भी वाक्य बनाया जा सकता है।
परन्तु कभी-कभी केवल एक क्रियापद से वाक्य पूर्ण नहीं हो पाता। उस स्थिति में हमें एक और पद की आवश्यकता होती है- कर्तृपद की अर्थात् कर्ता की। तात्पर्य यह हुआ कि केवल दो शब्दों से ही एक पूर्ण सार्थक वाक्य का निर्माण सम्भव है। यह वाक्य बिल्कुल संक्षिप्त होगा और इसके लिये हमें चाहिये एक कर्ता और एक क्रिया।
कर्ता और क्रिया में सम्बन्ध
क्रिया- जिस शब्द से हमें किसी कार्य के होने का बोध हो, उसे क्रिया कहते हैं, जैसे- लिखति (लिखता है)।
कर्ता- क्रिया को करने वाला ‘कर्ता’ कहलाता है, अर्थात् जिस शब्द से यह पता चले कि कार्य को कौन कर रहा है, उसे कर्ता (कर्तृपद) कहेंगे, जैसे- ‘छात्रः लिखति’ (छात्र लिख रहा है) यहाँ लिखने का कार्य छात्र कर रहा है, अतः ‘छात्रः’ कर्तृपद है। आसान शब्दों में, क्रिया से यदि आप सवाल पूछें कि उस क्रिया को करने वाला ‘कौन’ है? तो इस कौन के उत्तर में जो शब्द होगा वही कर्ता कहलायेगा।
संस्कृत में कर्ता और क्रिया का पुरुष और वचन में विभाजन किया गया है। तीन पुरुष- उत्तम पुरुष, मध्यमपुरुष और अन्यपुरुष। तीन वचन- एकवचन, द्विवचन और बहुवचन। कुल मिलाकर 3X3=9 कर्ता के रूप और 9 क्रिया के रूप। वाक्य-रचना का प्रमुख नियम यही है कि वाक्य में कर्ता और क्रिया दोनों का पुरुष और वचन एकसमान होना चाहिये। केवल एक इसी नियम को ध्यान में रखकर इसका पालन करते हुए संस्कृत में आप संक्षिप्त वाक्यों का निर्माण कर सकते हैं।
कर्ता का पुरुष और वचन में विभाजन:
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
अन्यपुरुष- | सः (वह) | तौ (वे दोनों) | ते (वे सब) |
मध्यमपुरुष- | त्वम् (तुम) | युवाम् (तुम दोनों) | यूयम् (तुम सब) |
उत्तमपुरुष- | अहम् (मैं) | आवाम् (हम दोनों) | वयम् (हम सब) |
क्रिया का पुरुष और वचन में विभाजन:
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
अन्यपुरुष- | लिखति | लिखतः | लिखन्ति |
मध्यमपुरुष- | लिखसि | लिखथः | लिखथ |
उत्तमपुरुष- | लिखामि | लिखावः | लिखामः |
ऊपर दिये गये विभाजन में से एक कर्ता और एक कर्म पद चुनिये और वाक्य बनाइये। बस इतना ध्यान रखना है कि दोनों के पुरुष और वचन एकसमान होने चाहिये। यदि आप इस शर्त को पूरा कर सकते हैं तो संस्कृत में शुद्ध सरल एवं संक्षिप्त वाक्यों की रचना आसानी से कर सकते हैं। उदाहरण के लिये: ‘त्वम्’ कर्ता के साथ कौन सा क्रियापद प्रयुक्त होगा? यदि आपका उत्तर ‘लिखसि’ है तो आप बिल्कुल सही हैं।
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि कर्ता के विभाजन में केवल 9 शब्द दिये गये हैं, लेकिन केवल यही 9 पद कर्ता नहीं हैं, तो सवाल यह उठता है कि अगर इनसे अलग कोई कर्ता आ जाये तो हम उसे किस पुरुष के अन्तर्गत रखेंगे? जैसे, यदि ‘बालकः’ कर्ता हो तो उसके साथ क्रिया कौन सी होगी? इसका उत्तर यह है कि मध्यमपुरुष और उत्तमपुरुष के अलावा जितने भी कर्ता होंगे वे सभी अन्यपुरुष कहलायेंगे। अतः ‘बालकः’ भी अन्यपुरुष का ही कर्ता है।
आशा है अब आपको संस्कृत में सरल वाक्य-रचना करने में मदद मिलेगी। यदि आप इसके लिये तैयार हैं तो नीचे दी गयी प्रश्नोत्तरी हल करें।
I am going to making Sanskrit sentence
Formation of Sanskrit sentences